Wednesday, January 12, 2011

चित्रकार तू चित्र बना दे..

चित्रकार तू चित्र बना दे,

उन सैनिक मतवालों का,

मातृभूमि हित बलिवेदी पर

शीश चढाने वालों का,

वीर सुभाष , महाराणा और छत्रपति शिवाजी का,

...झांसीवाली महारानी और चूंडावत छत्रानी का,

जोहर की ज्वाला को जगा दे,

आग लगा दे पानी में,

नूतन शक्ति जोश जगा दे, भारत के दीवानों में |

छोड़ किनारा कूद पड़ो मझधार तुम्हारा डेरा|

खून पसीना बहा के अपना,

ला फिर नया सवेरा |

10 comments:

  1. अद्भुत अकल्पनीय

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  2. मेरी कविता को इसमें सामिल करो।।


    इस बार अगर रण होता है।
    तो पकिस्तान नहीं होगा।।
    ढेरों मै रून्ड जमा होगें।
    जीवित इन्सान नहीं होगा।।
    दो बार तुम्हे हे क्षमा किया-
    पर तुम जीते गद्दारी में-
    सुन लो ओ गौरी के वंशज।
    अब क्षमा का दान नही होगा।।

    हिमगिरि से छन,छन कर ।
    जो गंध मलय की आती हे।।
    जिस पर हम वलि वलि जाते हे।
    वह भारत माँ की माटी हे।।
    जो अखण्डता,राष्ट्रीयएकता,
    हमको मिली विरासत में-
    वह वीर शिवाजी,राणा प्रताप के।
    बलिदानो की थाती हे।।

    शशांक फतेहपुरी

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    1. बहुत बढ़िया भाईसाहब 👌🚩🚩🚩🚩🚩

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  3. अमर शहीदों के कव्य चैन में
    भरदे भरदे मेरी वांणी
    कवि की लिखनी कर में लेकर
    स्वच्छ लिखो मेरी वांणी
    प्रकृति दिया उपहार वेदना
    भारत माँ वीर प्रसूता है
    ह्रदय लिए अनुराग वेदना
    हर नर मरता जीता है
    आँचल में शोणित की लाली
    कंण कंण में जोहर की आग
    भारत माँ की बलिवेदी पर
    जहाँ जले सिंदूर सुहाग
    वीरों की बसुधा फिर से
    वीरों को ललकार है
    गूंज उठा नभ के आंगन में
    यही हमारा नारा है
    कहो गर्व से हम हिन्दू हैं
    हिन्दुस्तान हमारा है

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  4. बहुत शानदार पंक्तिया

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