चित्रकार तू चित्र बना दे,
उन सैनिक मतवालों का,
मातृभूमि हित बलिवेदी पर
शीश चढाने वालों का,
वीर सुभाष , महाराणा और छत्रपति शिवाजी का,
...झांसीवाली महारानी और चूंडावत छत्रानी का,
जोहर की ज्वाला को जगा दे,
आग लगा दे पानी में,
नूतन शक्ति जोश जगा दे, भारत के दीवानों में |
छोड़ किनारा कूद पड़ो मझधार तुम्हारा डेरा|
खून पसीना बहा के अपना,
ला फिर नया सवेरा |
So inspiring
ReplyDeleteplease tell the poets name
ReplyDeleteJust heard this kavita in RSS camp.
ReplyDeleteWanted for winter assignment
ReplyDeleteअद्भुत अकल्पनीय
ReplyDeleteमेरी कविता को इसमें सामिल करो।।
ReplyDeleteइस बार अगर रण होता है।
तो पकिस्तान नहीं होगा।।
ढेरों मै रून्ड जमा होगें।
जीवित इन्सान नहीं होगा।।
दो बार तुम्हे हे क्षमा किया-
पर तुम जीते गद्दारी में-
सुन लो ओ गौरी के वंशज।
अब क्षमा का दान नही होगा।।
हिमगिरि से छन,छन कर ।
जो गंध मलय की आती हे।।
जिस पर हम वलि वलि जाते हे।
वह भारत माँ की माटी हे।।
जो अखण्डता,राष्ट्रीयएकता,
हमको मिली विरासत में-
वह वीर शिवाजी,राणा प्रताप के।
बलिदानो की थाती हे।।
शशांक फतेहपुरी
बहुत बढ़िया भाईसाहब 👌🚩🚩🚩🚩🚩
DeleteGod bless you mere भाई
Deleteअमर शहीदों के कव्य चैन में
ReplyDeleteभरदे भरदे मेरी वांणी
कवि की लिखनी कर में लेकर
स्वच्छ लिखो मेरी वांणी
प्रकृति दिया उपहार वेदना
भारत माँ वीर प्रसूता है
ह्रदय लिए अनुराग वेदना
हर नर मरता जीता है
आँचल में शोणित की लाली
कंण कंण में जोहर की आग
भारत माँ की बलिवेदी पर
जहाँ जले सिंदूर सुहाग
वीरों की बसुधा फिर से
वीरों को ललकार है
गूंज उठा नभ के आंगन में
यही हमारा नारा है
कहो गर्व से हम हिन्दू हैं
हिन्दुस्तान हमारा है
बहुत शानदार पंक्तिया
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