वीर रस कवितायेँ
Wednesday, July 21, 2010
शोरा जो पहचानिए
शोरा जो पहचानिए,जो लड़े दीन के हेत,
पुर्जा-पुर्जा कट मरे,कभी ना छाडे खेत|
जो धो प्रेम खेलन का चाव,
सिर धर तली गली मोरी आओ|
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